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Kabir Bijak : Sapurn Kabir Vaani : कबीर बीजक : सम्पूर्ण...

Kabir Bijak : Sapurn Kabir Vaani : कबीर बीजक : सम्पूर्ण कबीर वाणी

Swami Anand Kulshresth
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उसकी केवल एक ही जाति होती है मानव जाति, एक ही धर्म होता है मानव धर्म। महान् संत कबीर ने यही किया। उनका संपूर्ण जीवन अध्यात्म, मानव प्रेम, मानव कल्याण और समस्त धर्मो को बन्धुत्व के एक सूत्रा में बांधने के लिए समर्पित रहा। वैचारिक गहनता के बीचों-बीच सहज संवेदना की पगडंडी बना ले जाने में कबीर की रचनाएं अदभुत हैं। जीवन के जटिल और बौद्धिक पक्षों को भी नितांत खिलंदडे़ अंदाज में बयान करती उनकी रचनाएं अपनी सत्यता और मार्मिकता पर भी आंच नहीं आने देती। ईश्वरीय आराधना में रची-बसी उनकी रचनाओं में सोंधी माटी की खुशबू की तरह मन को तरंगित करती हुई दिल को छू जाने की क्षमता है। उनकी रचनाएं खुद बोलती हैं और जिसकी अंजलि में जितना समाता है, देती चलती हैं। कभी-कभी तो यह सोचकर विस्मित और अभिभूत रह जाना पड़ता है कि कबीर की संवेदना की मात्रा कुछ बूंदों से पढ़ने वाले ने अपनी गागर भर ली। ‘कबीर बीजक’ कबीर की अप्रतिम रचनाओं का अदभुत संकलन है जिसमें उनके शब्द, जो मात्रा स्थूल अर्थ में नहीं, अनेक ध्वनियों में प्रतिध्वनित होते हैं, क्योंकि उनकी नजर में, ईश्वर और अल्लाह एक हैं।
Tahun:
2016
Edisi:
Latest
Penerbit:
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Bahasa:
hindi
Halaman:
256
ISBN 10:
9352611160
ISBN 13:
9789352611164
File:
PDF, 34.83 MB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2016
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